उदासीनता वक्र विश्लेषण

उदासीनता वक्र विश्लेषण 

(Indifference Curve Analyasis)

उपभोक्ता व्यवहार के विश्लेषण के लिए उपयोगिता के क्रमवाचक धारणा पर आधारित उदासीनता वक्र विश्लेषण के प्रयोग का  श्रेय इंग्लैंड के अर्थशास्त्री जे. आर. हिक्स  तथा आर. जी. डी. एलेन को जाता है। उदासीनता वक्र विश्लेषण की खोज एजवर्थ ने 1871 ई. में किया।

                            उदासीनता वक्र विश्लेषण की मान्यताएँ 

  • उपभोक्ता एक विवेकशील प्राणी होता है। अर्थात वस्तुओं की कीमतों और अपनी दी हुई आय से एक ऊंचे से ऊंचे उदासीनता वक्र पर पहुंचना चाहता है। 
  • उपयोगिता का क्रमवाचक माप संभव है। अर्थात एक उपभोक्ता अपनी पसंद के अनुसार वस्तुओं को एक निश्चित क्रम मे व्यवस्थित कर सकता है। 
  • उपभोक्ता का अधिमान एकदिष्ट (Monotonic) होता है। अर्थात वह हमेशा किसी वस्तु की अधिक मात्रा को उसकी कम मात्रा की तुलना को पसंद करता है। दो वस्तुओं की स्थिति में वह उसी बंडल को पसंद करेगा जिसमें कम से कम एक वस्तु की मात्रा अधिक हो। जैसे 'क' ( 5 रसगुल्ला और 6 गुलाबजामुन ) तथा 'ख' (5 रसगुल्ला तथा 7 गुलाबजामुन) में वह 'ख' बंडल को चुनाव करेगा। 
  • उपभोक्ता का अधिमान सकर्मक (Transitive) होता है। दो वस्तुओं के तीन बंडल A, B और C की स्थिति में यदि उपभोक्ता बंडल A को B की तुलना में तथा बंडल B को बंडल C की तुलना में पसंद करता है तो वह बंडल A को बंडल C की तुलना में पसंद करेगा। 
  • उपभोक्ता का अधिमान संगत (Consistent) होता है।  इस कथन से तात्पर्य है कि यदि उपभोक्ता एक समय में बंडल A को  बंडल B की तुलना में पसंद करता है तो वह उसी समय बंडल B को बंडल A की तुलना में पसंद नहीं करेगा। 
  • उपभोक्ता का अधिमान प्रतिस्थापन की घटती सीमांत दर के अभिगृहीत का पालन करता है।  यह मान्यता उदासीनता वक्र को मूल बिन्दु की ओर उत्तल (Convex )बनाती है। 
  • उपभोक्ता की आय और वस्तुओं की कीमतों मे कोई परिवर्तन नहीं होता है। 
  • उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करता है।
  • वस्तु से प्राप्त संतुष्टि वस्तु की मात्रा पर निर्भर करती है। इसे उपयोगिता फलन के द्वारा व्यक्त किया जाता है। संकेत में,  U= f( x,y)

उदासीनता वक्र क्या है? 

एक उदासीनता वक्र उपभोक्ता के द्वारा पसंद किए गए दो वस्तुओं के वैसे बंडलों को व्यक्त करता  है जिनसे एक उपभोक्ता समान संतुष्टि प्राप्त होती  है। दूसरे शब्दों  समान संतुष्टि प्रदान करने वाले दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों का रेखाचित्रीय प्रदर्शन उदासीनता वक्र कहलाता है। 
एक उदासीनता वक्र को निम्न रेखाचित्र से दिखाया जा सकता है। 
दो वस्तु की स्थिति में उपयोगिता फलन   U= f( x,y) होता है । एक उदासीनता वक्र का समीकरण  f( x,y) =k  होगा । जहाँ k एक स्थिरांक है। k के विभिन्न मानों के लिए अलग अलग उदासीनता वक्र प्राप्त होगा । इन सभी वक्रों  के समूह को उदासीनता मानचित्र कहा जाता है।  दूसरे  शब्दों में दो या दो से अधिक उदासीनता वक्रों के समूह को उदासीनता मानचित्र कहा जाता है। एक उदासीनता मानचित्र में अधिक ऊंचाई पर अवस्थित उदासीनता वक्र अधिक संतुष्टि स्तर को व्यक्त करता है। 
        एक उदासीनता मानचित्र को निम्न रेखाचित्र से दर्शाया  जा सकता है। 

 

उदासीनता वक्र की विशेषताएँ

  • एक उदासीनता वक्र की ढाल ऋणात्मक होती है। इसका तात्पर्य है कि यदि एक उपभोक्ता एक वस्तु की अधिक मात्रा को प्राप्त करना चाहता है तो अपनी संतुष्टि स्तर को पूर्ववत रखने के लिए उसे दूसरी वस्तु की कम मात्रा को स्वीकार करना होगा। 
  • एक उदासीनता वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तल (Convex) होता है।  इसका तात्पर्य है कि एक उदासीनता वक्र पर ऊपर से नीचे गति करने में  उदासीनता वक्र की ढाल घटती है।  एक उदासीनता वक्र की ढाल को प्रतिस्थापन की सीमांत दर कहा जाता है। 
  • एक उदासीनता वक्र किसी भी अक्ष को स्पर्श नहीं करता है। 
  • दो उदासीनता वक्र एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करते हैं।  ऐसा इसलिए कि प्रतिच्छेद बिन्दु समान संतुष्टि को व्यक्त करता है जबकि दो उदासीनता वक्र दो भिन्न संतुष्टि स्तर को व्यक्त करते हैं। 
  • एक उदासीनता वक्र किसी भी अक्ष के समानांतर नहीं होता। 

प्रतिस्थापन की सीमांत दर 

अपनी संतुष्टि को पूर्वत रखने के लिए एक वस्तु की अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने के लिए दूसरी वस्तु की त्याग की गई मात्रा को प्रतिस्थापन दर कहते हैं। गणितीय संकेत में 
MRS = (-) △Y/△X
जहाँ △Y = वस्तु Y की मात्रा मे परिवर्तन तथा △X= वस्तु -X की मात्रा में परिवर्तन 
प्रतिस्थापन की सीमांत दर दोनों वस्तुओं की सीमांत उपयोगिताओं का अनुपात होती है। 
एक उदासीनता वक्र का समीकरण ,
f( x,y) =k 
 कुल अवकलज (Total Derivatives) लेने पर 



चूंकि dk =0 
अतः  


व्यस्थित करने पर 


चूंकि 


अतः 



उपभोक्ता का व्यवहार ऐसा होता है की यदि वह एक वस्तु की मात्रा को दूसरे वस्तु के स्थान पर प्रतिस्थापित करता है तो प्रतिस्थापन की सीमांत दर घटती है। अर्थात एक उपभोक्ता एक वस्तु की प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के लिए दूसरी वस्तु की कम मात्रा का त्याग करता है। इसे ही प्रतिस्थापन की घटती सीमांत दर अभिगृहीत कहा जाता है। 
इसे निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है। 


इस तालिका से स्पष्ट है कि प्रतिस्थापन की सीमांत दर निरपेक्षतः घटती है। 
                कभी कभी एक उपभोक्ता को कुछ ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ता है जब वह दो वस्तुओं के बीच प्रतिस्थापन नहीं कर सकता है। जैसे कलम और स्याही के बीच प्रतिस्थापन संभव नहीं है क्योंकि ये दोनों वस्तुएँ एक दूसरे की पूरक हैं।  इनका उपभोग साथ साथ होता है। ऐसी स्थिति में उदासीन वक्र L आकार का होता है। जैसा की चित्र में दिखाया गया है। 
जब दोनों वस्तुएँ एक दूसरे के पूर्ण प्रतिस्थापक होती हैं तो प्रतिस्थापन की सीमांत दर स्थिर होती है और उदासीनता वक्र एक सरल रेखा बन जाता है

जैसा कि  रेखाचित्र से स्पष्ट है। 



बजट रेखा या कीमत रेखा (Budget Line or Price Line) 

एक बजट रेखा दो वस्तुओं के वैसे बंडलों  को व्यक्त करने वाले बिन्दुओं का बिन्दुपथ होती है जिसे खरीदने पर एक उपभोक्ता की सम्पूर्ण आय समाप्त हो जाती है।
अतः बजट रेखा की ढाल वस्तुओं की कीमतों का अनुपात होती है।   एक बजट रेखा को निम्न रेखाचित्र से दर्शाया जा सकता है। 



















इस रेखाचित्र में AB बजट रेखा है। बजट रेखा की ढाल ऋणात्मक होती है इसका तात्पर्य है कि एक उपभोक्ता एक वस्तु की मात्रा में वृद्धि करना चाहेगा तो उसे दूसरी वस्तु की मात्रा में कमी करनी होगी। 
OA को Y-अक्ष का अन्तः-खंड  कहा जाता है जो स्पष्ट करता है कि  यदि उपभोक्ता केवल Y-वस्तु को खरीदे तो वह वस्तु-Y की अधिकतम मात्रा OA ( आय / वस्तु Yकी कीमत) खरीद सकता है। इसी प्रकार OB वस्तु X की अधिकतम मात्रा है जिसे एक उपभोक्ता अपनी आय से खरीद सकता है।  रेखा AB पर किसी भी बिन्दु पर एक उपभोक्ता की सम्पूर्ण आय समाप्त हो जाती है। 
रेखा AB के दायें ओर का क्षेत्र उपभोक्ता के लिए पहुँच से बाहर का  क्षेत्र है। 

बजट रेखा में परिवर्तन 

वस्तु-X की कीमत में परिवर्तन 

यदि वस्तु X की कीमत में परिवर्तन हो तो एक बजट रेखा बिन्दु A के दायें या बाएं घूमती है। वस्तु -X कीमत मे कमी होने से बजट रेखा  दायें तथा वस्तु-X की कीमत में वृद्धि होने से बजट रेखा बायें घूमती है जैसा की चित्र में दर्शाया गया है। 
इस रेखाचित्र  में बजट रेखा AB' वस्तु X की कीमत में कमी तथा बजट रेखा AB" वस्तु-X की  कीमत में वृद्धि को व्यक्त करती है। 

वस्तु-Y कीमत में परिवर्तन 

 यदि वस्तु-Y की कीमत में कमी हो तो बजट रेखा बिन्दु B के दायें तथा वस्तु-Y की कीमत में वृद्धि होने से बजट रेखा बिन्दु ब के बायें  घूम जाएगी, जैसा की रेखाचित्र में दर्शाया गया है। 


इस रेखाचित्र में बजट रेखा A'B वस्तु-Y की कीमत में कमी तथा बजट रेखा A"B वस्तु-Y की कीमत मे वृद्धि को व्यक्त कर रही है। 

 उपभोक्ता की आय में परिवर्तन 

उपभोक्ता की ये में वृद्धि होने से बजट रेखा दायीं ओर तथा उपभोक्ता की आय मे कमी होने से बायीं ओर विवर्तित हो जाती है। जैसा की रेखाचित्र में दर्शाया गया है। 













उदासीनता वक्र विश्लेषण से एक उपभोक्ता के संतुलन के लिए दो शर्त का पूरा होना आवश्यक है। 
1. उदासीनता वक्र बजट रेखा को स्पर्श करे।  अर्थात प्रतिस्थापन की सीमांत दर और वस्तुओं की कीमतों का अनुपात बराबर हो। संकेत में 

2. स्पर्श बिन्दु पर उदासीनता वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तल (Convex ) हो। 
       उपभोक्ता संतुलन को निम्न रेखाचित्र से व्याख्या की जा सकती है। 
इस रेखाचित्र से स्पष्ट है कि  एक उपभोक्ता के पास बंडल A, B,C, D  तथा E उपलब्ध है।  बिन्दु A तथा B  किसी भी उदासीनता  वक्र पर  नहीं है , अतः इसे एक उपभोक्ता  स्वीकार नहीं करेगा। इसी  प्रकार बिन्दु C तथा बिन्दु E उदासीन वक्र IC1 तथा बिन्दु D उदासीनता वक्र IC2 पर है । बिदु D से उपभोक्ता को बिन्दु C तथा बिन्दु E की तुलना में ज्यादा संतुष्टि प्राप्त होगी।  अतः एक उपभोक्ता बिन्दु D का चयन करेगा और वह बिन्दु D पर संतुलन में होगा ।  
रेखाचित्र से स्पष्ट है की बिन्दु D पर उदासीनता वक्र IC2 बजट रेखा AB को स्पर्श करत है तथा उदासीनता वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्तल है। 
अतः संतुलनवस्था में  उपभोक्ता वस्तु-X की x  तथा वस्तु-Yकी y मात्रा का उपभोग करे
                                                                                      धन्यवाद 
                                                                             पी. के. पाठक 
                  पीजीटी 
राजकीयकृत +2 उच्च विद्यालय रमना 
                 गढ़वा 

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