उपयोगिता की संकल्पना और सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम


उपयोगिता की धारणा

आप कलम क्यों खरीदना चाहते हैं ? आप विद्यालय क्यों जाते हैं ? आप बीमार होने पर डॉक्टर के पास क्यों जाते हैं ? इस प्रकार के अनगिनत प्रश्नों के उत्तर में आप पाते हैं कि वस्तुओं एवं सेवाओं से आपकी कोई न कोई आवश्यकता अवश्य पुरी होती है। जैसे कलम से लिखने की आवश्यकता पूर्ण होती है। विद्यालय में हमें शिक्षा प्राप्त होती है। ठीक इसी प्रकार डॉक्टर से इलाज कराने से स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। अतः यह कहा जा सकता है कि वस्तुओं में हमारी आवश्यकता को संतुष्ट करने की शक्ति होती है। वस्तु की इसी शक्ति के कारण कहा जाता है कि वस्तु में उपयोगिता (Utility)  होती है।
    प्रश्न है कि उपयोगिता क्या है ? हम यह अनुभव करते हैं कि वस्तु के उपभोग से हम संतुष्टि का अनुभव करते हैं। ऐसा इसलिए कि वस्तु के उपभोग से आवश्यकता की तीव्रता में कमी आती है। उपयोगिता को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है। किसी वस्तु के उपभोग के फलस्वरूप अपेक्षित संतुष्टि को उपयोगिता कहा जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि उपभोक्ता को किसी वस्तु के उपभोग से जो संतुष्टि मिलने की आशा होती है उसे ही उपयोगिता कहा जाता है। यहाँ उपयोगिता एवं संतुष्टि में अंतर है। उपयोगिता वस्तु के उपभोग से पूर्व प्राप्त होती है, जबकि संतुष्टि वस्तु के उपभोग के पश्चात् । 
    यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि उपयोगिता का संबंध लाभदायकता तथा नैतिकता से नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि जो वस्तु उपयोगी हो वह लाभदायक भी हो। जैसे शराब का सेवन किसी भी व्यक्ति के लिए लाभदायक नहीं है, लेकिन एक शराबी के लिए इसकी उपयोगिता है। तंबाकू से कर्क (Cancer) रोग हो सकता है फिर भी तंबाकू के सेवन करने वालों की आवश्यकता इससे पूर्ण होती है । अतः तंबाकू में भी उपयोगिता है।
    उपयोगिता की धारणा वस्तुगत न होकर आत्मगत एवं सापेक्षिक है। कहने का तात्पर्य है कि उपयोगिता वस्तु में अंतर्निहित न होकर मनुष्य की मनोवृत्ति पर निर्भर करती है। एक ही वस्तु की उपयोगिता दो व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हो सकती है। जैसे एक विद्यार्थी के लिए कलम की उपयोगिता है, लेकिन एक श्रमिक के लिए कलम की कोई उपयोगिता नहीं है।
    एक वस्तु की उपयोगिता एक ही व्यक्ति के लिए समय एवं स्थान के साथ बदल जाती है। जैसे ऊनी वस्त्र की उपयोगिता एक व्यक्ति के लिए सर्दी के मौसम में तो है लेकिन गर्मी के मौसम में इसकी कोई उपयोगिता नहीं। एक विद्यार्थी के लिए कलम की उपयोगिता स्कूल या घर में तो है लेकिन किसी पूजा स्थल पर उसके लिए कलम की कोई उपयोगिता नहीं।

उपयोगिता फलन


किसी वस्तु से प्राप्त होने वाली उपयोगिता एवं वस्तु की मात्रा के बीच पाये जाने वाले संबंध को उपयोगिता फलन कहा जाता है।
    गणितीय रूप में उपयोगिता फलन को निम्नवत लिखा जा सकता है।
               
                     U=f(x)
जहाँ U वस्तु से प्राप्त होने वाली उपयोगिता तथा x वस्तु की मात्रा है।  f संबंध को बताता है।
अगर उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करता है तो उपयोगिता फलन का स्वरूप निम्नलिखित होगा।
           U=f(x,y) , जहाँ x वस्तु X की मात्रा तथा y वस्तु Y की मात्रा।



कुल उपयोगिता  

किसी वस्तु की एक निश्चित् मात्रा के उपभोग के फलस्वरूप उपभोक्ता को संतुष्टि मिलने की अपेक्षा रहती है, उसे कुल उपयोगिता कहा जाता है। कुल उपयोगिता वस्तु की प्रत्येक इकाई से मिलने वाली उपयोगिताओं का योगफल है।

 मान लिया जाए एक उपभोक्ता किसी वस्तु  X की कुल n इकाई का उपभोग करता है। तथा प्रत्येक इकाई से प्राप्त उपयोगिता क्रमशः MU1, MU2 ,MU3 ................................MUहै, कुल उपयोगिता (TU) निम्न रूप से ज्ञात किया जाता है।
  TU=MU1+ MU2 +,MU3 + ..............................+ MUn
  जहाँ Σ योगफल को बताता है तथा MU सीमांत उपयोगिता है। 
उदाहरण के लिए यदि एक उपभोक्ता 5 केलों का उपभोग करता है तथा केला की पहली इकाई से 20, दूसरी इकाई से 15, तीसरी इकाई से 10, चौथी इकाई से 5 तथा पाँचवी इकाई से 0 उपयोगिता मिलती है, तो केला से प्राप्त कुल उपयोगिता 50 (20+15+10+5+0) हुई।

सीमांत उपयोगिता

उपभोग की जाने वाली वस्तु की मात्रा में एक अतिरिक्त इकाई से परिवर्तन करने पर कुल उपयोगिता में होने वाले परिवर्तन को सीमांत उपयोगिता कहा जाता है। जैसे किसी उपभोक्ता को 10 केले से 50 इकाई तथा 11 केले से 60 इकाई उपयोगिता की प्राप्ति होती है तो केले की 11वीं इकाई से प्राप्त उपयोगिता 10 हुई, जिसे सीमांत उपयोगिता कहा जाता है। 
गणितीय संकेत में 


जहाँ MUn = वस्तु की nवीं इकाई की सीमांत उपयोगिता , TUn = वस्तु की nवीं इकाई की कुल उपयोगिता , TUn-1 = वस्तु की n-1वीं इकाई की कुल उपयोगिता  

     सीमांत उपयोगिता को कुल उपयोगिता में वस्तु के सापेक्ष परिवर्तन की दर के रूप में भी परिभाषित किया जाता है।
गणितीय संकेत में,
   जहाँ- ΔU= कुल उपयोगिता में परिवर्तन तथ Δx= वस्तु X की मात्रा में परिवर्तन

औसत उपयोगिता

उपभोग की जाने वाली वस्तु की प्रति इकाई मात्रा से प्राप्त उपयोगिता को औसत उपयोगिता कहा जाता है। औसत उपयोगिता को प्राप्त करने के लिए वस्तु से प्राप्त कुल उपयोगिता को वस्तु की कुल मात्रा से भाग दिया जाता है।
सूत्र के रूप में,
  
   
जहाॅं AU= औसत  उपयोगिता, TU=  कुल उपयोगिता  तथा x= वस्तु X की मात्रा
     उदाहरण के लिए माना कि किसी उपभोक्ता को 5 गोलगप्पा खाने से 50 इकाई उपयोगिता प्राप्त होती है ,तो गोलगप्पे की औसत उपयोगिता 10 इकाई हुई ( 50/5)

उपयोगिता की माप

उपयोगिता की माप को लेकर दो धारणाएँ प्रचलित हैं।

  गणनावाचक धारणा- 

         एल्फर्ड मार्शल, जेवोन्स, बेंथम, वॉलरस जैसे अर्थशास्त्रियों का कहना है कि उपयोगिता को गिनती की संख्या (1,2,3,4,5,........................आदि) में मापा जा सकता है। इनके अनुसार एक उपभोक्ता यह बता सकता है कि उसे रसगुल्ला से कितनी उपयोगिता मिलती है ? जैसे एक उपभोक्ता कहता है कि उसे एक रसगुल्ला से 20 इकाई तथा एक गुलाब जामुन से 10 इकाई उपयोगिता मिलती है तो यह कहा जा सकता है कि उसे रसगुल्ले की उपयोगिता गुलाब जामुन की उपयोगिता से दुगुनी है।

कुछ अर्थशास्त्रियों ने उपयोगिता की माप की इकाई यूटिल्स बताया। जैसे कोई उपभोक्ता यह कहता है कि उसे एक रसगुल्ला से 20 इकाई उपयोगिता मिलती है तो रसगुल्ले की उपयोगिता 20 यूटिल्स हुई।
         लेकिन मार्शल ने उपयोगिता को मुद्रा में मापने की सलाह दी। उनके अनुसार कोई उपभोक्ता किसी वस्तु की एक इकाई के लिए जो मुद्रा त्याग करने को तैयार रहता है उसे ही वस्तु की उस इकाई की उपयोगिता कहा जाता है। जैसे कलम की एक इकाई को प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता यदि 10 रुपये देने को तैयार है तो कलम के उस इकाई की उपयोगिता 10 रु. या 10 इकाई  होगी।

क्रमवाचक धारणा 

इस धारणा के प्रतिपादक जे. आर. हिक्स तथा आर.जी.डी. एलेन हैं। इनके अनुसार उपयोगिता को गणना, लेकिन पसंद के अनुसार वस्तुओं को एक क्रम में सजाया जा सकता है। जैसे एक उपभोक्ता यह कहता है कि उसे तीन वस्तुओं रसगुल्ला, गुलाब-जामुन और लड्डू में से सबसे ज्यादा गुलाब-जामुन तथा सबसे कम लड्डू पसंद है तो क्रमवाचक धारणा से वस्तुओं को निम्न रूप से सजाया जा सकता है।


वस्तु
उपयोगिता का क्रम
गुलाब-जामुन
1st
रसगुल्ला
2nd
लड्डू
3rd


सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम उपभोक्ता व्यवहार विश्लेषण का एक प्रमुख यंत्र है। इस नियम का प्रथम प्रतिपादन गोसेन ने किया था अतः इसे गोसेन का प्रथम नियम भी कहा जाता है। बाद में इस नियम का वैज्ञानिक व्याख्या का श्रेय मार्शल को जाता है।
सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम के अनुसार जब एक उपभोक्ता उपभोग की जाने वाली वस्तु की मात्रा में वृद्धि करता है तो वस्तु की प्रत्येक इकाई से मिलने वाली उपयोगिता अर्थात् सीमांत उपयोगिता में कमी होती है। पूर्ण संतुष्टि के स्तर पर यह शून्य होती है तथा बाद में ऋणात्मक होने लगती है।   दूसरे शब्दों में कहा सकता है कि उपभोग की जाने वाली वस्तु की मात्रा में वृद्धि करने से वस्तु से प्राप्त होने वाली कुल उपयोगिता घटते दर से बढ़ती है तथा अधिकतम होने के बाद घटने लगती है।
मार्शल के अनुसार ‘‘एक वस्तु के स्टॉक में वृद्धि होने से व्यक्ति को जो अतिरिक्त संतुष्टि प्राप्त होती है वह भंडार में हुई प्रत्येक वृद्धि होने से कम होती जाती है।’’
यह नियम इस तथ्य पर आधारित है कि मनुष्य की असीमित आवश्यकताओं में से आवश्यकता विशेष की संतुष्टि पूर्णतः की जा सकती है तथा जैसे जैसे उपभोक्ता किसी आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए वस्तु का उपभोग करता है तो उसकी आवश्यकता की तीव्रता कम होती जाती है।
सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम हर प्रकार के वस्तु के लिए लागू होता है। यह मुद्रा के संदर्भ में भी लागू होता है, लेकिन मुद्रा की सीमांत उपयोगिता कभी भी शून्य नहीं हो सकती ,क्योंकि मुद्रा क्रय क्षमता को प्रदर्शित करती है।

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की मान्यताएँ-

  • उपभोग की जाने वाली वस्तु की मात्रा की इकाई मानक होनी चाहिए।
  • वस्तु की प्रत्येक इकाई समरूप होनी चाहिए।
  • उपभोग की प्रक्रिया लगातार होनी चाहिए।
  • उपभोक्ता की मानसिक एवं सामाजिक स्थिति सामान्य होनी चाहिए।
  • उपयोगिता को गिनती की संख्या में मापना संभव है।


       सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या।

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या निम्न तालिका से की जा सकती है।

गोलगप्पे की मात्रा
कुल उपयोगिता (TU)
सीमांत उपयोगिता (MU)
0
0
-
1
10
10
2
15
5
3
19
4
4
22
3
5
24
2
6
25
1
7
25
0
8
24
-1
9
22
-2


तालिका से स्पष्ट है कि गोलगप्पे की 7वीं इकाई तक गोलगप्पे की कुल उपयोगिता बढ़ती है लेकिन बढ़ने की दर कम है। उसके बाद घटने लगती है। पुनः स्पष्ट है कि गोलगप्पे की मात्रा में वृद्धि से गोलगप्पे की सीमांत उपयोगिता घटती जाती है। गोलगप्पे की 7वीं इकाई की सीमांत उपयोगिता शून्य है उसके बाद यह ऋणात्मक हो जाती है। ऋणात्मक उपयोगिता को अनुपयोगिता कहा जाता है।

रेखाचित्र से व्याख्या :- कुल उपयोगिता वक्र से स्पष्टीकरण


चित्र- 1
  
X अक्ष = वस्तु  X की मात्रा, Y अक्ष = कुल उपयोगिता
 TU वक्र = कुल उपयोगिता वक्र
रेखाचित्र से स्पष्ट है कि वस्तु की oq मात्रा पर कुल उपयोगिता अधिकतम है क्योंकि TU के बिन्दु  A पर TU की ढाल X अक्ष के समांतर है। बिंदु q के बाद TU में कमी आ रही है तथा q के पूर्व TU में घटते दर से वृद्धि हो रही है। TU वक्र का आकार X अक्ष की ओर अवतल है।

सीमांत उपयोगिता वक्र से सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम की व्याख्या


  चित्र-2



रेखाचित्र का वर्णन
  X अक्ष = वस्तु X की मात्रा, Y अक्ष = सीमांत उपयोगिता
MU वक्र = सीमांत उपयोगिता वक्र
चित्र से स्पष्ट है कि MU वक्र की ढाल ऋणात्मक है । इससे स्पष्ट होता है कि सीमांत उपयोगिता वस्तु की मात्रा में वृद्धि के साथ घटती है। बिंदु q पर सीमांत उपयोगिता शून्य है। बिंदु q  के बाद सीमांत उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है।

सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम के अपवाद

1.   शराबी की स्थिति में यह नियम लागू नहीं होता है। ऐसा कहा जाता है कि एक शराबी को शराब के पहले पैग की तुलना में दूसरे पैग से ज्यादा उपयोगिता मिलती है।
2.   बहुमूल्य या दुर्लभ वस्तुओं जैसे पुराने सिक्कों या डाक टिकटों के संग्रहण में यह नियम लागू नहीं होता है।

कुल उपयोगिता एवं सीमांत उपयोगिता में संबंध

कुल उपयोगिता एवं सीमांत उपयोगिता में निम्नलिखित संबंध पाया जाता है।
·       जब तक सीमांत उपयोगिता धनात्मक होती है, कुल उपयोगिता बढ़ती है।
·       जब सीमांत उपयोगिता शून्य होती है, कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।
·       सीमांत उपयोगिता के ऋणात्मक होने पर कुल उपयोगिता में कमी होने लगती है।
संबंध की व्याख्या निम्न तालिका से की जा सकती है।
गोलगप्पे की मात्रा
कुल उपयोगिता (TU)
सीमांत उपयोगिता (MU)
0
0
-
1
10
10
2
15
5
3
19
4
4
22
3
5
24
2
6
25
1
7
25
0
8
24
-1
9
22
-2

इस तालिका से स्पष्ट है कि गोलगप्पे की 7वीं इकाई की सीमांत उपयोगिता 0 है तथा 6वीं इकाई तक यह धनात्मक है। गोलगप्पे की 6वीं इकाई तक कुल उपयोगिता बढ़ रही है, 7वीं इकाई पर अधिकतम (25 इकाई) एवं 7वीं इकाई के बाद कुल उपयोगिता घटने लगती है ।

रेखाचित्र से स्पष्टीकरण-

चित्र-3
रेखाचित्र का वर्णन 
    X अक्ष पर वस्तु की मात्रा तथा Y अक्ष पर सीमांत उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता को दर्शाया गया है। TU कुल उपयोगिता  तथा MU सीमांत उपयोगिता वक्र है। q बिंदु पर MU वक्र X अक्ष को प्रतिच्छेद करता है अर्थात    बिंदु q पर सीमांत उपयोगिता शून्य है। इस बिंदु पर कुल उपयोगिता अधिकतम है। oq के बीच कुल उपयोगिता बढ़ती है तथा बिंदु q के बाद कुल उपयोगिता घटने लगती है।






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