अवसर लागत
अवसर लागत
‘‘त्याग की जाने वाली सर्वश्रेष्ठ
अवसर का मूल्य ही किसी अवसर की अवसर लागत है।’’ दुसरे शब्दों में हम कह सकतें हैं कि एक वस्तु को प्राप्त
करने के लिए त्याग की गई दुसरी वस्तु की मात्रा को अवसर लागत कहा जाता है।
अवसर लागत को समझने के लिए एक उदाहरण पर विचार किया जाय । मान लिया जाए कि
एक किसान भूमि के एक टुकड़े से 40 क्विंटल गेहूँ, 60 क्विंटल मक्का एवं 50 क्विंटल चावल का उत्पादन कर सकता है। लेकिन वह मक्का के उत्पादन का निर्णय करता है। इस परिस्थिति में उसे गेहूँ एवं चावल का
उत्पादन करने के विचार को त्याग करना होगा। अर्थात् किसान को एक अवसर (मक्का का
उत्पादन) को प्राप्त करने के लिए दो अवसरों (गेहूँ का उत्पादन एवं चावल का
उत्पादन) का त्याग करना पड़ता है। क्या आप बता सकतें हैं कि किसान के द्वारा त्याग
की जा रही अवसरों में सर्वश्रेष्ठ अवसर कौन है? निसंदेह चावल के उत्पादन का अवसर ही मक्का उत्पादन का
सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक अवसर है। त्याग की
गई इस सर्वश्रेष्ठ अवसर का मूल्य ही चयनित अवसर की अवसर लागत है
सीमांत अवसर लागत
एक
वस्तु के उत्पादन में एक अतिरिक्त इकाई से वृद्धि करने के लिए दुसरी वस्तु के
उत्पादन में होने वाली कमी को सीमांत अवसर लागत कहा जाता है। दुसरे शब्दों में एक
वस्तु की सीमांत अवसर लागत दुसरी वस्तु की वह मात्रा है जिसे वस्तु के उत्पादन में
एक अतिरिक्त उत्पादन के लिए त्याग करनी होती है।
संकेत में
वस्तु X की सीमांत अवसर लागत या
रूपांतरण की सीमांत दर = (-)∆Y∕∆X
जहाँ
∆Y = वस्तु Y के उत्पादन में परिवर्तन
∆X = वस्तु X के उत्पादन में परिवर्तन
(सीमांत अवसर लागत एक वस्तु की उत्पादन
मात्रा के सापेक्ष दुसरी वस्तु की उत्पादन मात्रा में परिवर्तन की दर है। यह
उत्पादन संभावना वक्र के किसी बिंदु पर उसकी ढाल को मापती है।)
सीमांत अवसर लागत की धारणा को निम्न तालिका से स्पष्ट किया जा सकता है।
उत्पादन संभावना
|
चावल का उत्पादन (x)
|
गेहूँ का उत्पादन (Y)
|
∆X
वस्तु X में वृद्धि
|
∆Y
(वस्तु Y में कमी)
|
∆Y∕∆X
(सीमांत अवसर लागत)
|
A
|
00
|
36
|
-
|
-
|
-
|
B
|
05
|
31
|
5
|
05
|
1.0
|
C
|
10
|
25
|
5
|
06
|
1.2
|
D
|
20
|
18
|
5
|
07
|
1.4
|
E
|
25
|
10
|
5
|
08
|
1.6
|
F
|
30
|
00
|
5
|
10
|
2.0
|
इस तालिका से स्पष्ट है कि
सीमांत अवसर लागत बढ़ रही है। अब पश्न है कि सीमांत अवसर लागत बढ़ती क्यों है? यद्यपि उत्पादन के साधनों में विशिष्टता का गुण नहीं पाया जाता फिर भी सभी
साधन दोनों वस्तुओं के उत्पादन में समान रूप से अनुकूल नहीं होते। परिणामतः एक
वस्तु के उत्पादन में उतरोत्तर वृद्धि के लिए दुसरी वस्तु के उत्पादन में लगे
संसाधनो की अधिक मात्रा को पहली वस्तु के उत्पादन में आवंटित करना होगा।
जैसे किसी अर्थशास्त्र के अध्यापक को गणित की कक्षा में भेज दिया जाये तो वह
गणित विषय को पढ़ाने में अर्थशास्त्र विषय की तुलना में कम अनुकूल होगा। ठीक उसी
प्रकार भवन निर्माण में लगे कुशल श्रमिक कृषि कार्य के लिए कम अनुकूल होते हैं।
सीमांत अवसर लागत और उत्पादन संभावना वक्र का आकार
·
बढ़ती सीमांत अवसर लागत
इस
स्थिति में उत्पादन संभावना वक्र का आकार मूल बिंदु की ओर अवतल होगा।
· घटती
सीमांत अवसर लागत
इस स्थिति में उत्पादन संभावना वक्र का आकार मूल बिंदु की ओर
उत्तल होगा
· स्थिर सीमांत अवसर लागत-
इस स्थिति में उत्पादन संभावना वक्र एक सरल रेखा
होगी।
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