माँग का सिद्धांत

माँग साधारण बोलचाल की भाषा में केवल इच्छा को ही माँग कह दिया जाता है , लेकिन अर्थशास्त्र में शब्द माँग का तात्पर्य प्रभावपूर्ण इच्छा से है। प्रभावपूर्ण इच्छा उस इच्छा को कहा जाता है जिसकी संतुष्टि हो सके। किसी वस्तु के प्रति इच्छा को संतुष्ट तभी किया जा सकता है , जब समय एवं स्थान विशेष पर वस्तु की उपलब्धता की स्थिति में उपभोक्ता उस वस्तु को खरीदने में सक्षम तथा तत्पर हो। दूसरे शब्दों में आवश्यक क्रयक्षमता से समर्थित इच्छा ही प्रभावपूर्ण इच्छा है। अतः किसी वस्तु की माँग के लिए आवश्यक तत्व निम्न हैं- उपभोक्ता की इच्छा वस्तु के क्रय करने की तत्परता वस्तु की उपलब्धता किसी दिए गए समय में वस्तु की कीमत उपभोक्ता की क्रय क्षमता इस प्रकार किसी विशेष समय में किसी निश्चित मूल्य पर इच्छित वस्तु को प्राप्त करने की प्रभावपूर्ण इच्छा माँग कहलाती है। दूसरे शब्दों मे यह कहा जा सकता है कि एक निश्चित समय पर किसी वस्तु की दी हुई कीमत पर वस्तु की जितनी मात्रा को एक उपभोक्ता खरीदने को तैयार होता है उसे उस वस्तु की माँग कहा जाता है। यह स्थिर मात्रा नहीं होती बल्कि कीमत में पर...