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Consumer's Equlibrium, Cardinal Approach

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उपभोक्ता संतुलन – गणनावाचक विश्लेषण (Consumer’s Equlibrium-Cardinal Approach) एक उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं के उपभोग से प्राप्त होने वाली उपयोगिता को अधिकतम करना चाहता है। अधिकतम उपयोगिता की स्थिति ही संतुलन बिंदु है। अपने इस उद्देश्य को पुरा करने के लिए वह अपनी आय को विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं के उपभोग में व्यय करता है। अतः यह कहा जा सकता है कि उपभोक्ता संतुलन की व्याख्या विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर एक उपभोक्ता की आय का अनुकूलतम आवंटन की व्याख्या है। उपभोक्ता संतुलन की व्याख्या का आधार उपयोगिता की माप के संबंध में अर्थशास्त्रियों के द्वारा दी गई धारणाएँ हैं। उपयोगिता की माप की दो धारणाएँ प्रचलित हैं, पहली गणनावाचक धारणा एवं दुसरी क्रमवाचक धारणा। अतः उपभोक्ता संतुलन की व्याख्या गणनावाचक दृष्टिकोण तथा क्रमवाचक दृष्टिकोण से किया जा सकता है। गणनावाचक विश्लेषण का प्रतिपादन का श्रेय एल्फर्ड मार्शल को जाता है। क्रमवाचक दृष्टिकोण में उपभोक्ता संतुलन की व्याख्या के लिए दो सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया। पहला सिद्धांत जे.आर.हिक्स तथा आर.जी.डी. एलेन के द्वारा दिया उदासीनता वक्र...